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Tuesday 29 May 2012

अनाथालय में खाना खिलाने से बेहतर है बच्चो का भविष्य संवारे :))

कुछ लोग ख़ुशी और गम के मौके पर अनाथालय जाकर बच्चों को खाना खिलाते हैं, ताकि उन्हें उन बच्चों की दुआ मिल सके, यक़ीनन यह एक अच्छा कार्य है, लेकिन मैं इसका व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता हूँ, जहाँ तक मैं जानता हूँ की अनाथालय में सरकार के दुवारा बच्चों के भोजन की सुविधा मुहैया करायी जाती है, इसके अलावा हमारे-आपके तरह बहुत सारे लोगों की सोच खाना खिलाने की होती है, मैंने देखा है अनाथालय में एक-एक दिन में दस -दस परिवार के लोग खाना खिलाने पहुचते हैं, खासकर पर्व-त्यौहार में,...... मैं ऐसे लोगो की भावना की क़द्र करता हूँ, लेकिन जरा सोचिये की एक दिन में बच्चे कितने बार खायेंगे ?? खाना खिलाने का क्या इम्पेक्ट होगा ? क्यों ना हम उस पैसे से पढे-लिखाई का सामान, नोट बुक, स्टेशनरी, किताब आदि सामानों को खरीद कर दे, जरा सोचिये अगर हम एक हजार रूपये खाना खिलाने में खर्च करते हैं वह तनिक क्षण भर के लिए होता है, लेकिन इसके बदले उन्हें एक हजार रूपये की स्टेशनरी खरीद कर दे तो वह कितने दिनों तक चलेगा और यह सामान उन अनाथ बच्चों का भविष्य संवार सकता है , क्या हमें क्षणिक ख़ुशी और संतुष्टि के लिए कुछ दान देना चाहिए या ऐसे चीजो को प्रोमोट करना चाहिए जो उन्हें इस लायक बनाने में मदद कर सके जिस से की वो भविष्य में खुद कमा सके और खा सके...

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