सिल्क उद्योग का दर्द -2
यार्न बेंक का सपना अधुरा ...
इस शहर के रेशम उद्योग के पिछड़ने का एक सबसे बड़ा कारण यहाँ यार्न बेंक (सूत बेंक) की स्थापना नहीं होना है, बुनकरों को सूत/धागे दुसरे राज्यों/देशों से आयात करना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ रहा है, प्राप्त जानकारी के अनुसार रेशम सूत/धागे पर सरकार का इतना अधिक टेक्स/कर है कि बुनकरों को मज़बूरी में यह कालाबाजारी में खरीदारी करनी पड़ती है, क्योंकि सरकार के दुवारा सूत/धागा मुहेया नहीं कराया जा रहा है और ना ही वर्तमान सरकार ने इस दिशा में सार्थक पहल की है, नतीजा बुनकरों की मज़बूरी का फायदा उठा कर अभी भी भागलपुर में सिल्क धागों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है, ख़ास कर चयन कोरिया कि तस्करी का धंधा जोरों पर है और बहुत बार ऐसा होता है की पार्टी दुवारा ऑर्डर मिलने के बाद भी धागा उपलब्ध नहीं होने के कारण बुनकर सही समय पर माल तेयार कर पार्टी को नहीं दे पाते हैं, आपको यकीन नहीं होगा कि सिल्क के तस्करी कर के बहुत सारे लोगों ने करोडो में काला धन अर्जित किया है, खैर, बुनकरों को सही कीमत पर धागा नहीं मिलने के कारण भी सिल्क उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है, जब नितीश जी सरकार आई तो अख़बारों में यह समाचार पढने को मिला कि सरकार बुनकरों को सरकारी दरों पर सूत मुहेया कराएगी और इसी जिले के कहलगांव क्षेत्र में अप्रेल पार्क बनेगा, लेकिन ये बाते सिर्फ अखबारों के पन्नो और घोषणाओ तक सिमट कर रह गयी, अगर बुनकरों को सरकारी दरों पर सूत मुहेया कराया जाता तो निश्चित तौर पर इस उद्योग को काफी मदद मिलती, लेकिन यार्न बेंक स्थापना नहीं होना भी इस उद्योग कि बर्बादी के एक महतवपूर्ण कारणों में से एक है ......
यार्न बेंक का सपना अधुरा ...
इस शहर के रेशम उद्योग के पिछड़ने का एक सबसे बड़ा कारण यहाँ यार्न बेंक (सूत बेंक) की स्थापना नहीं होना है, बुनकरों को सूत/धागे दुसरे राज्यों/देशों से आयात करना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ रहा है, प्राप्त जानकारी के अनुसार रेशम सूत/धागे पर सरकार का इतना अधिक टेक्स/कर है कि बुनकरों को मज़बूरी में यह कालाबाजारी में खरीदारी करनी पड़ती है, क्योंकि सरकार के दुवारा सूत/धागा मुहेया नहीं कराया जा रहा है और ना ही वर्तमान सरकार ने इस दिशा में सार्थक पहल की है, नतीजा बुनकरों की मज़बूरी का फायदा उठा कर अभी भी भागलपुर में सिल्क धागों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है, ख़ास कर चयन कोरिया कि तस्करी का धंधा जोरों पर है और बहुत बार ऐसा होता है की पार्टी दुवारा ऑर्डर मिलने के बाद भी धागा उपलब्ध नहीं होने के कारण बुनकर सही समय पर माल तेयार कर पार्टी को नहीं दे पाते हैं, आपको यकीन नहीं होगा कि सिल्क के तस्करी कर के बहुत सारे लोगों ने करोडो में काला धन अर्जित किया है, खैर, बुनकरों को सही कीमत पर धागा नहीं मिलने के कारण भी सिल्क उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है, जब नितीश जी सरकार आई तो अख़बारों में यह समाचार पढने को मिला कि सरकार बुनकरों को सरकारी दरों पर सूत मुहेया कराएगी और इसी जिले के कहलगांव क्षेत्र में अप्रेल पार्क बनेगा, लेकिन ये बाते सिर्फ अखबारों के पन्नो और घोषणाओ तक सिमट कर रह गयी, अगर बुनकरों को सरकारी दरों पर सूत मुहेया कराया जाता तो निश्चित तौर पर इस उद्योग को काफी मदद मिलती, लेकिन यार्न बेंक स्थापना नहीं होना भी इस उद्योग कि बर्बादी के एक महतवपूर्ण कारणों में से एक है ......
No comments:
Post a Comment