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Wednesday 29 August 2012

बिहार और आतंकवाद !!



खुदा का लाख-लाख शुक्र है की अब तक आतंकी घटना से हमारा बिहार बचा हुआ है ! लेकिन जिस तरह से यह आतंकियों का पनाहगार बना हुआ है यह बेहद ही चिंता का विषय ! पिछले कुछ वर्षों से बिहार से आतंकियों की हुयी गिरफ्तारी इस बात को बल देता है की बिहार आतंकियों के छिपने का महफूज जगह है ! इसके एक नहीं कई उदाहरण है ..मुम्बई हमला और या दिल्ली और कर्नाटक में आतंकी हमला या फिर मुम्बई में देशद्रोहियों दुवारा अमर शहीद स्मारक को तोड़ने का मामला ! इन सभी कांडों के आरोपियों की गिरफ्तारियां होना स्पष्ट संकेत देता है की बिहार में ऐसे गुनेह्गारों को शरण दी जाती है ! आज अब्दुल कादिर (मुंबई शहीद स्मारक तोड़ने के आरोपी) की सीतामढ़ी से गिरफ्तारी , इसके पूर्व दरभंगा और किशनगंज से आतंकियों की गिरफ्तारी से यह तो तय है की आतंकी ऐसे वारदातों को अंजाम देने के बाद सीधे नेपाल जाने के लिए बिहार की और रुख करता है ! पहले बिहारियों पर गुंडागर्दी और अपराध करने का आरोप लगता रहता था, लेकिन अब तो बिहार के सर पर आतंकियों को संरक्षण देने का भी काला धब्बा लग रहा है ! जिस तरह से आतंकियों को बिहार में संरक्षण देने की घटना बढ़ रही है यह एक दिन हम बिहारियों को ही भारी पड़ेगा ! क्योंकि इतिहास गवाह है की ऐसे लोग (आतंकी) किसी के नहीं होते हैं ! केन्द्र के साथ-साथ राज्य सरकार को इस गंभीर मुद्दों को लेकर ठोस रणनीति बनानी चाहिए ! कई आतंकी पाकिस्तान से भारत आने के लिए नेपाल की और रुख करता है और वाया बिहार होकर देश के अन्य शहरों में आराम से आता-जाता है ! बिहार से सटे नेपाल की सीमा पर जांच-सुरक्षा में कारगर पुख्ता व्यस्था करने की जरुरत है ! बोर्डर पर एसएसबी जवानों को और अधिक मुस्तेद करने की जरुरत है ! और ऐसे लोगों का सामजिक बहिष्कार भी जरुरी है जो आतंकियों को पनाह देते हैं !!

जय हिंद !!

Sunday 26 August 2012

फेसबूक और नरेंद्र मोदी !!

सोशल मिडिया यानी फेसबूक का जितना फायदा नरेंद्र मोदी उठा रहे हैं उतना ही इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है ! फेसबूक के हर ग्रुप में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को इस कदर प्रस्तुत किया जा रहा है मानों उनके प्रधानमन्त्री बनते हि भारत से सारे अल्पसंख्यक को या तो पाकिस्तान भेज दिया जाएगा या फिर किसी राहत शिविर में और देश में फैली भ्रस्टाचार और व्याप्त असंतोष चुटकी में खत्म हो जायेगा ! हर मुद्दों को मोदी से जोड़कर ऐसे बताया जाता है जैसे उनके शासनकाल में कुछ भी गलत नहीं होगा ! ऐसा लगता है जैस मोदी को प्रधानमन्त्री की कुर्सी नहीं बल्कि कोई जादुई चिराग हाथ लग जायेगा जिसे घिसते ही जिन्न निकल कर देश की समस्याओं का तुरंत समाधान कर देगा ! वह जिन्न भारत में विकास की लहर ला देगा ! मुझे तो कभी-कभी हंसी आती है ऐसे पोस्ट और कमेन्ट देख कर ! सोशल मिडिया के उपयोग की रणनीति में मोदी सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं ! आरएसएस, भाजपा और विद्यार्थी परिषद से ताल्लुक रखने वाले कुछ कट्टर मोदी समर्थक अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर
्वाह करते हुए हर तरफ सिर्फ और सिर्फ मोदी से सम्बंधित सकारात्मक पहलु ही परोस रहे हैं ! अन्य राजनेताओं की एक-एक छोटी-छोटी गलती को भी मोदी समर्थक इस तरह बढ़ा-चढा कर पेश कर रहे हैं जैसे मानों सचमुच वह देश के सबसे बड़े दुश्मन हों ! यहाँ तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जिन्होंने काफी कम समय में विकास के मामले में गुजरात को भी पछाड दिया उनके बारे में ऐसे बताया जा रहा है जैसे राजनीति में मोदी उनसे वरिष्ट हो और मोदी के पहले और अब तक भारतीय राजनितिक इतिहास में किसी विकास पुरुष ने पैदा ही नहीं लिया हो ! वर्तमान समय में स्थिति यह है कि सोशल मिडिया पर नरेंद्र मोदी को इतना अधिक प्रचलित किया जा रहा है जैसे वो वाजपेयी, आडवाणी, सुषमा स्वराज से भी अनुभवी और प्रखर नेता हो ! इस फेसबूक के माध्यम से ना केवल यूपीए को हडकाया जा रहा है बल्कि भाजपा में उनकी गहरी पैठ बनाने की भी सफल कोशिश जारी है ! वैसे मैं भी नरेंद्र मोदी के अच्छे कार्यों का जोरदार समर्थन करता हूँ , लेकिन अंधभक्त नहीं ....इस पोस्ट को पढ़ कर कुछ लोगों को आपत्ति होगी लेकिन मुझे इसका कोई मलाल नहीं क्योंकि यह हकीकत है ....

Thursday 23 August 2012


अपनी बातें !!

टोपी, इफ्तार और मुस्लिम हितेषी ......

अगर टोपी पहनने वाला ही मुसलमान का हितेषी होता है तो मैं देखावटी टोपी कभी ना पहनूं , अगर कोई सिर्फ इफ्तार पार्टी का आयोजन कर या शामिल होकर अल्पसंख्यक का हितेषी बनता है तो मैं कभी इफ्तार पार्टी का ना तो आयोजन करूँ और ना ही ऐसे आयोजनों में शामिल होऊ ! क्योंकि मैंने देखा है कि लोग टोपी लगा कर सिर्फ हितेषी होने का ढोंग करते हैं अब आप ही बताइए कि क्या सिर्फ टोपी पहनने से भला कोई मुस्लिम का हितेषी हो सकता है ? अगर कोई बिना टोपी पहने ही मुस्लिम भाई के लिए अच्छी सोच रखे और उनकी मदद करे तो क्या वो उनका शुभचिंतक नहीं हो सकता ? मैंने देखा है कई लोगों के इफ्तार पार्टी सिर्फ हाय-फाय प्रोफाईल के लिए होती है वहाँ दो तरह के आयोजन होते हैं एक वीआईपी के लिए जहाँ दर्जनों व्यंजन होते हैं और दूसरी और निर्धन के लिए सिर्फ खानापूर्ति ..यही नहीं उन गेट या पंडाल के अंदर वैसे रोजेदारों को प्रवेश तक करने नहीं दिया जाता है जिन्हें रोजे के बाद ठीक से भोजन भी नसीब नहीं होता है .अब आप ही बताइए ऐसे इफ्तार दिखावटी नहीं तो और क्या है ? आखिर इफ्तार रोजेदारों के लिए आयोजित होता है तो फिर दिन भर खाने वाले लोग इफ्तार में क्यों खाते हैं ? लोग कहेंगे की साथ देने के लिए ..अब मेरा सवाल की अगर साथ ही देना है तो दिन भर रोजा रखो फिर इफ्तार में शामिल होकर दिखाओ ? अगर फूटपाथ पर पड़े असहाय या कमजोर रोजेदारों को शाम में भोजन करा दें तो क्या वह अल्पसंख्यक का हितेषी नहीं होगा ?

Tuesday 14 August 2012

 
अपनी बातें !!

अजमल कसाब को पकड़ा था तुकाराम ओम्बले ने , शत्-शत् नमन !!

जी हाँ आज हम देश कि आजादी का जश्न मना रहे हैं, लेकिन हम सिर्फ शहीदों को नारों तक ही सिमित रख रहे हैं ! आजादी के बाद भी कई पुलिसकर्मियों ने देश कि आंतरिक सुरक्षा में अपने जान गंवाए ! जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ उस महान साहसिक विभूति तुकाराम ओम्बले की , जिसके कारण ही आज कसाब जैसा खूंखार आतंकवादी जेल में बंद है ! जी हाँ मुम्बई पुलिस में सब इन्पेक्टर के पद पर तैनात ओम्बले गिरग्म चौपाटी पर तैनात थे, वहाँ नाकेबंदी कर दी गयी थी, तभी कसाब और उसके अन्य एक साथी कार से उस और से भाग रहे थे, वहाँ तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया ! इस दौरान मुंबई पुलिस कि गोली से एक आतंकी मारा गया जो कार चला रहा था ! कार लड़खड़ा गयी और कसाब बाहर सडक पर आ गिरा ! इसे देखते ही पुलिस उसे लपकने के लिए दौड़ पड़ी, लेकिन कसाब ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी ! अन्य पुलिसकर्मी इधर-उधर छिप गए, लेकिन ओम्बले ने दम नहीं मारी और कसाब कि और उनके कदम बढते चले गए ! इस दौरान उन्हें कई गोलियाँ लगी लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कसाब को धार दबोचा और हाथापाई शुरू हो गयी ! इसे देख अन्य पुलिसकर्मी भी उस और लपके तथा कसाब को धार दबोचा ! इधर अस्पताल जाते-जाते ओम्बले कि मौत हो गयी और वो शहीद हो गए ! उन्हें मरणोपरांत " अशोक चक्र " से सम्मानित किया गया ! लेकिन सवाल यह क्या कसाब जब तक जिन्दा रहेगा तब तक उनकी आत्मा को शान्ति मिलेगी ? आइये इस पवन मौके पर शहीद ओम्बले के साथ-साथ उन शहीदों को भी नमन करे और सच्ची श्रद्धांजली दें जिन्होंने देश कि रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिया ..................


बंदे मातरम !!
रूपेश झा