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Thursday 23 August 2012


अपनी बातें !!

टोपी, इफ्तार और मुस्लिम हितेषी ......

अगर टोपी पहनने वाला ही मुसलमान का हितेषी होता है तो मैं देखावटी टोपी कभी ना पहनूं , अगर कोई सिर्फ इफ्तार पार्टी का आयोजन कर या शामिल होकर अल्पसंख्यक का हितेषी बनता है तो मैं कभी इफ्तार पार्टी का ना तो आयोजन करूँ और ना ही ऐसे आयोजनों में शामिल होऊ ! क्योंकि मैंने देखा है कि लोग टोपी लगा कर सिर्फ हितेषी होने का ढोंग करते हैं अब आप ही बताइए कि क्या सिर्फ टोपी पहनने से भला कोई मुस्लिम का हितेषी हो सकता है ? अगर कोई बिना टोपी पहने ही मुस्लिम भाई के लिए अच्छी सोच रखे और उनकी मदद करे तो क्या वो उनका शुभचिंतक नहीं हो सकता ? मैंने देखा है कई लोगों के इफ्तार पार्टी सिर्फ हाय-फाय प्रोफाईल के लिए होती है वहाँ दो तरह के आयोजन होते हैं एक वीआईपी के लिए जहाँ दर्जनों व्यंजन होते हैं और दूसरी और निर्धन के लिए सिर्फ खानापूर्ति ..यही नहीं उन गेट या पंडाल के अंदर वैसे रोजेदारों को प्रवेश तक करने नहीं दिया जाता है जिन्हें रोजे के बाद ठीक से भोजन भी नसीब नहीं होता है .अब आप ही बताइए ऐसे इफ्तार दिखावटी नहीं तो और क्या है ? आखिर इफ्तार रोजेदारों के लिए आयोजित होता है तो फिर दिन भर खाने वाले लोग इफ्तार में क्यों खाते हैं ? लोग कहेंगे की साथ देने के लिए ..अब मेरा सवाल की अगर साथ ही देना है तो दिन भर रोजा रखो फिर इफ्तार में शामिल होकर दिखाओ ? अगर फूटपाथ पर पड़े असहाय या कमजोर रोजेदारों को शाम में भोजन करा दें तो क्या वह अल्पसंख्यक का हितेषी नहीं होगा ?

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