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Wednesday 9 May 2012

मेरी बिहार यात्रा पार्ट-2

गरीबी का मजाक उडाता गरीब रथ !!

जी हाँ मैं जब पटना से भागलपुर जा रहा था गरीब रथ से मुझे बड़ा अजीब सा लगा ..जहाँ किसी भी एक्सप्रेस के सकें स्लीपर में भी एक निचे वाले बर्थ पर तीन लोगों के बैठने की जगह होती है वही गरीब रथ में चार नंबर अनिक्त था ....चुकी मैं सुबह-सुबह ट्रेन में बैठा था तो मैंने देखा की मेरे बर्थ पर एक भाई साहेब सोये हुए थे, मैंने उन्हें बिना डिस्टर्ब किये बगल में किसी तरह बैठा गया, शायद उस भाई साहेब (यात्री) को तकलीफ हुयी होगी उन्होंने पूछा आपका रिजर्वेशन है क्या मैंने कहा हाँ आप मेरी बर्थ पर सो रहे हो ..उन्होंने कहा नहीं ये मेरा बर्थ है, फिर मैं उसी बोगी में टिकट चेक कर रहे टीटीइ के पास पंहुचा और उन्हें बताया की मेरे बर्थ पर कोई और यात्री दावा कर रहा है, उन्होंने मेरा टिकट देखा और कहा वह बर्थ आप दोनो का है यह बात मेरे भेजे में नहीं उतरी मैंने पूछा की मेरा सिट नंबर इतना है और लोवर बर्थ है उन्होंने कहा भाई साहेब वही बैठ जाइये ये गरीब रथ है कोई एक्सप्रेस का एसी बोगी नहीं..इस ट्रेन में ऐसा ही होता है, मुझे उनकी बातों पर यकीं नहीं हुआ मैं उस यात्री की टिकट देखि सबकुछ वही था जो मेरे टिकट में था..खैर, मैं चुपचाप वहां बैठ गया, उमस भरी गर्मी थी मेरा पसीना सुख ही नहीं रहा था , करीब आधे घंटे बाद मैंने मेंटेन करने वाले सदस्य से पूछ की एसी कम क्यों है तेज करो तो उन्होंने जवाब दिया भैया पहली बार गरीब रथ में चढ़े हो क्या ? ये भी मिल रहा है बहुत है यकीं मानिये एसी चल ही नहीं रहा था और मेरे आसपास बैठे लोग यही कह रहे थे रात भर गर्मी से परेशान रहे वो लोग, खैर पंखे ने उनोलोगों की जान बचायी, साफ़-सफाई तो बिलकुल नगण्य थी, जहा-तहां खाने-पिने की सामग्री फेकी हुयी थी....कागज-पेपर और ठोंगे जहा-तह फैले हुए था...एक बोगी में तो बेसिन का पानी गेट से होते हुए सिट के निचे फ़ैल रहा था...ज्यों-ज्यों ट्रेन आगे बढती गयी त्यों-त्यों आमलोगों की भीड़ भी ट्रेन में बेबाक सवार होती गयी, जैसे मनो को डीएम्यु ट्रेन हो...कुछ देर बाद मैं शौचालय गया वह पानी ही नहीं था, बेसिन में भी पानी नहीं..धीरे-धीरे माजरा समझ में आने लगा.. कुछ लोगों के बातचीत से यह समझ में आया की इस ट्रेन में अधिकाँश वैसे ही लोग यात्रा कर रहे थे जिनको अन्य ट्रेन में टिकट नहीं मिली थी. कुव्यवस्था के बिच चल रही यह गरीब रथ ..केवल गरीबी का मजाक ही उदा रही है..सुविधा के नाम पर केवल बंद शीशे और पंखों के अलवा कुछ भी नहीं दिखा इस रथ में ......जबकि सरकार सुविधा के नाम पर पैसा वसूलती है ....

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