इसमें मेरी क्या गलती है कि मैं जब भी कुछ
लिखता हूँ अक्सर कुछ लोगों को बुरी लग जाती है ...जबकि मेरा इरादा किसी को
तकलीफ पहुचने का नहीं होता है ....खैर, मैं अक्सर देखता हूँ कि फेसबुक पर पुरुषों कि अपेक्षा महिलाओं दुवारा किये गए पोस्ट पर ज्यादा
कमेन्ट आते हैं और उसमे सबसे अधिक भागीदारी भी पुरुष वर्गों कि होती है ,
क्षमा कीजियेगा महिलाये इसे दूसरे अर्थ में ना ले , किसी महिला का एक पोस्ट
ज्यों ही आता है चाहे वो तथ्यविहीन ही क्यों न हो, उस पोस्ट पर सबसे पहले
कमेन्ट करने को लेकर पुरुष वर्ग (जिसमे मैं भी शामिल हूँ) में ऐसी होड सी
मच जाती है जैसे प्रथम विश्वयुद्ध के पहले पुरे दुनिया में उपनिवेशवाद कि
होड मची थी , आपको यकीं नहीं होगा हम पुरुष वर्ग के बीच अच्छे-अच्छे पोस्ट
पड़े होते है लेकिन हम महिलाओं के पोस्ट को प्राथमिकता देते हैं ....अब कोई
यह कमेन्ट मत कीजियेगा कि हम महिलाओं का सम्मान करते हैं ...क्योंकि मैंने
देखा कि कितने फेक आईडी के पीछे ही सिर्फ नाम और तस्वीर देख कर कमेन्ट कि
बाढ़ आ जाती है ....कम से कम २४ घंटे में दो बार ऐसा तो जरुर होते देखता हूँ
मैं ...पहला सुबह को जब किसी महिला के दुवारा गुड मार्निंग कहा जाता है
दूसरा रात को जब गुड नाईट लिखती है ......इन दोनों पोस्ट पर कमेन्ट का
तूफ़ान इस कदर आता है कि पूछिए मत ....जबकि पुरुष वर्ग के सदस्यों के दुवारा
हाय, हेल्लो, गुड मार्निंग और गुड नाईट लिखने पर गिने-चुने महिला वर्ग के
सदस्यों का भी कमेन्ट नहीं आता है ...ऐसे में क्या कहा जाय .....कि हाल के
वर्षों में पुरुषों कि मानसिकता में काफी बदलाव आया है या हमारे पुरुषत्व
कि नीव कमजोर हो रही है ..
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